स्वदेशी खेलों को अंतरराष्ट्रीय पटल पर ले जाना है लक्ष्य: सुधांशु मित्तल

IOA vice president Sudhanshu Mittal (Twitter).

देश में स्वदेशी परम्परागत खेलों में जागरूकता एवं इनके प्रचार-प्रसार के लिए फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पेफी) द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की ई कांफ्रेंस का शुभारंभ सोमवार, 21 सितंबर 2020 को ऑनलाइन किया गया।

यह कॉन्फ्रेंस “अपने स्वदेशी खेलों को जाने और पहचाने” विषय पर आयोजित की जा रही है। कॉन्फ्रेंस का उदघाटन भारतीय खो खो संघ के अध्यक्ष एवं इंडियन ओल्यय्म्पिक एसोसिएशन के उपाध्यक्ष सुधांशु मित्तल द्वारा किया गया, उन्होंने अपने उद्बोधन में बताया कि स्वदेशी खेल, वह खेल है जो मनोरंजन की दृष्टि से उत्तम है ही अपितु यह खेल स्वस्थता प्रदान कर सीमित संसाधनों के साथ सहजता से खेले जा सकते है।

उन्होंने कहा कि यह भारत की वर्तमान सरकार की सोच और सकारात्मकता ही है जो आज स्वदेशी खेलों को इतिहास बनने से रोकने का प्रयास किया जा रहा है और ऐसे में हम सभी का भी नैतिक जिम्मेदारी व कर्तव्य बनता है कि हम अपने स्वदेशी खेलों को इतिहास न बनने दें और इसे गली गली, शहर शहर होते हुए अंर्तराष्ट्रीय पटल तक पहुंचाने में आपना सहयोग दें। कॉन्फ्रेंस में मुख्य वक्ता के रूप में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्रीनिवासन ने स्वदेशी खेलों पर विशेष ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि अनुशासनिक नागरिकों का निर्माण करने के लिए स्वदेशी खेलों का विकास करना परम आवश्यक है।

स्वदेशी खेलों के माध्यम से जीवन में संयम आएगा और संयम से जीवन जीना आएगा और एक संयमित व्यक्ति ही व्यसन आदि से दूर रह कर अपने जीवन को जीवन के लक्ष्य को पा सकता है श्रीनिवास ने बताया कि अब वक्त आ गया है कि हम अपने सभी परंपरागत एवं स्वदेशी खेलो में से कुछ खेलों को चिन्हित कर “एक खेल एक प्रांत” की नीति को अपनाएं एवं उस खेल के द्वारा आधुनिक खेलों के कौशल में कैसे विकास किया जा सकता है उस पर ध्यान केंद्रित करें।

कार्यक्रम के विशेष अतिथि मल्लखम्ब खेल द्रोणाचार्य विजेता 2020 श्री योगेश मालवीय ने कहा की भारत सरकार के द्वारा मल्लखम्ब खेल में पहली बार द्रोणाचार्य अवार्ड मिलने से एक स्वदेशी खेल को आगे बढाने में मदद मिलेगी, उन्होंने सभी लोगो से आग्रह किया की हमारे परम्परागत खेलों को फिर से जन जीवन का हिस्सा बनाने में सभी को पेफी की मुहीम का समर्थन करना चाहिए! कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के रूप में क्रीड़ा भारती दिल्ली से अन्तराष्ट्रीय खिलाड़ी राकेश गोस्वामी,  भारतीय खो-खो संघ के महासचिव एम एस त्यागी और पेफी के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार उप्पल जी ने स्वदेशी खेल पर अपने विचार रखे।

इस दो दिवसीय कांफ्रेंस में वक्ता के रूप में तमिलनाडु तिरिचुरापल्ली से डॉ. प्रसन्ना बालाजी, अत्या पाटा खेल के प्रकाश नांदुरकर, टिक्कर बिल्ला खेल से सदानंद काने, ड्राप रो बाल से ईश्वर आचार्य ने अपने अपने स्वदेशी खेल की प्रस्तुति दी.कार्यक्रम आयोजन अध्यक्ष डॉ. अनिल करवंदे ने स्वागत भाषण देते हुए देश में स्वदेशी खेलों के प्रचार प्रसार पर बल दिया!

देश को यदि फिट राष्ट्र बनाना है तो हमें अपने परंपरागत खेलों की तरफ लोटना होगा.  इस दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में देशभर के सभी राज्यों से स्वदेशी, परंपरागत क्षेत्रीय एवं वैदिक कालीन खेलों पर कुछ विशेष शोध पत्र एवं लेख प्रस्तुत किए जाएंगे।कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन आयोजन सचिव डॉ. शरद कुमार शर्मा ने किया और मंच संचालन डॉ. अमृता पाण्डेय ने किया!

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